रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में, मंजिल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ। बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक्त बदलना सीखो मजबूरियों को मत कोसो हर हाल में चलना सीखो! यूँ ना छोड़ जिंदगी की किताब को खुला, बेवक्त की हवा ना जाने कौन सा पन्ना पलट दे। आहिस्ता चल ज़िन्दगी, कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है। तेरी दौड़ भागते-भागते मैं थक गया हूं, दम तो लेने दे, कुछ दर्द मिटाना बाकी है। मेरे अपने पीछे छूट गए, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है… इस मोहब्बत की किताब के, बस दो ही सबक याद हुए, कुछ तुम जैसे आबाद हुए, कुछ हम जैसे बरबाद हुए। तेरे शहर में आ कर बेनाम से हो गए, तेरी चाहत में अपनी मुस्कान ही खो गए, जो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबे, कि जैसे तेरी आशिक़ी के गुलाम ही हो गए।